Ad Code

दीपावली पर ये 10 काम ज़रूर करें, घर में आएगी सुख-समृद्धि और माँ लक्ष्मी की कृपा

 दीपावली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं! इस दीपावली पर घर की सफाई, लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण विधि, धनतेरस, भाई दूज तक के पांचों दिनों का महत्व और पर्यावरण-अनुकूल दिवाली मनाने के सर्वोत्तम तरीकों को जानें। यह एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है जो आपके त्योहार को यादगार बना देगी।

दीपावली पर ये 10 काम ज़रूर करें, घर में आएगी सुख-समृद्धि और माँ लक्ष्मी की कृपा

सिर्फ एक त्योहार नहीं, एक अनुभूति का नाम है दीपावली

"तमसो मा ज्योतिर्गमय" - अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर चलो। यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि दीपावली के पर्व का मूल सार है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व सिर्फ दीये जलाने, पटाखे फोड़ने और मिठाइयां खाने तक सीमित नहीं है। 

यह पर्व है अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर ज्ञान, आशा और सकारात्मकता का प्रकाश फैलाने का। यह पर्व है भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी की खुशी का, देवी लक्ष्मी के स्वागत का और हर रिश्ते में नई ऊर्जा भरने का।

आज के इस आधुनिक युग में, जहां हम अपनी परंपराओं से कहीं न कहीं दूर होते जा रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम दीपावली के वास्तविक अर्थ को समझें और इसे पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाएं। 

यह लेख आपकी इसी यात्रा में एक मार्गदर्शक का काम करेगा। आइए, हम विस्तार से जानते हैं कि इस दीपावली को सही मायनों में खास और यादगार बनाने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए।

1. त्योहार की तैयारी: उत्सव की पहली सीढ़ी

दीपावली का उत्सव धनतेरस से कई दिन पहले ही शुरू हो जाता है। तैयारी का यह चरण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि मुख्य पूजा का दिन।

क) घर की संपूर्ण सफाई और शुद्धिकरण

दीपावली का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य है घर की सफाई। यह सिर्फ एक भौतिक क्रिया नहीं है, इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक महत्व छिपा है।

  • क्यों है जरूरी?: मान्यता है कि देवी लक्ष्मी केवल स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही वास करती हैं। घर की सफाई करके हम न केवल धूल-मिट्टी हटाते हैं, बल्कि घर में मौजूद सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को भी बाहर निकालते हैं। जब घर का कोना-कोना साफ होता है, तो एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है जो मन को शांति और प्रसन्नता देता है।

  • कैसे करें?: घर के हर कोने, चाहे वो स्टोर रूम हो या छत, की अच्छे से सफाई करें। टूटी-फूटी, अनुपयोगी और पुरानी वस्तुओं को घर से बाहर निकाल दें। ये चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को आकर्षित करती हैं। सफाई के बाद पूरे घर में गंगाजल या नमक के पानी का छिड़काव करें, इससे वातावरण शुद्ध होता है।

ख) घर की सजावट: मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी

साफ-सुथरे घर को जब सजाया जाता है, तो उसकी सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। सजावट का हर एक तत्व अपने आप में एक विशेष अर्थ रखता है।

  • रंगोली: घर के मुख्य द्वार पर और पूजा स्थल के पास रंगोली बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। रंगोली को स्वागत, सत्कार और खुशी का प्रतीक माना जाता है। आप प्राकृतिक रंगों, फूलों की पंखुड़ियों या चावल के आटे का उपयोग करके सुंदर रंगोली बना सकते हैं।

  • दीये: दीपावली का अर्थ ही है "दीपों की अवली" यानी दीयों की पंक्ति। मिट्टी के दीये इस त्योहार की आत्मा हैं। ये पंचतत्वों में से एक 'पृथ्वी' का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दीपावली, चाइनीज लाइट्स की जगह पारंपरिक मिट्टी के दीयों का प्रयोग करें। इससे न केवल परंपरा का निर्वहन होगा, बल्कि कुम्हारों के घरों में भी रोशनी पहुंचेगी।

  • बंधनवार और तोरण: आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से बने तोरण को घर के मुख्य द्वार पर लगाना बहुत शुभ होता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को सुनिश्चित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है।

  • लाइटिंग: घर को रोशन करने के लिए LED लाइट्स का प्रयोग करें, जो बिजली की बचत करती हैं। रोशनी ऐसी होनी चाहिए जो आंखों को सुकून दे, न कि चुभे।

2. पंचदिवसीय उत्सव: हर दिन का अपना महत्व

दीपावली एक दिन का नहीं, बल्कि पांच दिनों का महापर्व है। हर दिन का अपना एक अलग महत्व और परंपरा है।

पहला दिन - धनतेरस (धनत्रयोदशी)

यह दिन भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता और समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, को समर्पित है। इस दिन स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है।

  • क्या करें?:

    • खरीदारी: इस दिन सोना, चांदी, पीतल या स्टील के बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे 'शुभ निवेश' के रूप में देखा जाता है। झाड़ू खरीदना भी शुभ है, क्योंकि यह घर से दरिद्रता को बाहर निकालने का प्रतीक है।

    • यम का दीपक: संध्या के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक चारमुखी दीपक जलाएं। इसे 'यम दीपक' कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।

दूसरा दिन - नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16,000 कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

  • क्या करें?:

    • अभ्यंग स्नान: सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल लगाकर उबटन से स्नान करने की परंपरा है। माना जाता है कि इससे नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और सौंदर्य तथा स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

    • दीपक जलाना: शाम के समय घर के चारों ओर दीपक जलाए जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या मुख्य दीपावली से कम होती है।

तीसरा दिन - दीपावली (लक्ष्मी-गणेश पूजन)

यह पांच दिवसीय उत्सव का मुख्य दिन है। इस दिन अमावस्या की अंधेरी रात को दीयों की रोशनी से जगमग कर दिया जाता है।

  • क्या करें?:

    • लक्ष्मी-गणेश पूजन: प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त के अनुसार देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

      • पूजा की तैयारी: एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। मध्य में देवी लक्ष्मी, उनके दाहिनी ओर भगवान गणेश और बायीं ओर देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। एक कलश भी स्थापित करें।

      • पूजा विधि: सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं। फिर देवी लक्ष्मी और सरस्वती का पूजन करें। उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, फल, और नैवेद्य (मिठाई) अर्पित करें। खील-बताशे का प्रसाद विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।

      • मंत्र जाप: श्री सूक्त, लक्ष्मी चालीसा और गणेश चालीसा का पाठ करें।

      • आरती: अंत में कपूर से आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।

    • दीपक जलाना: पूजा के बाद पूरे घर को दीयों से रोशन करें। पहला दीपक पूजा स्थान पर, दूसरा तुलसी के पास और फिर घर के हर कोने में दीये रखें।

चौथा दिन - गोवर्धन पूजा और अन्नकूट

यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था।

  • क्या करें?:

    • गोवर्धन निर्माण: घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।

    • अन्नकूट: इस दिन 56 प्रकार के पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है, जिसे 'अन्नकूट' कहते हैं। यह नई फसल के आने की खुशी का भी प्रतीक है।

पांचवां दिन - भाई दूज (यम द्वितीया)

यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे।

  • क्या करें?:

    • बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, स्वास्थ्य और सफलता की कामना करती हैं।

    • भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपने स्नेह और सुरक्षा के कर्तव्य को व्यक्त करते हैं।

3. परंपरा से परे: इस दीपावली कुछ नया और सार्थक करें

त्योहारों का उद्देश्य केवल रस्मों को निभाना नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना है।

क) मनाएं पर्यावरण-अनुकूल (Eco-Friendly) दीपावली

  • पटाखों को 'ना' कहें: पटाखे वायु और ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। इनसे निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इनकी तेज आवाज इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी कष्टदायक होती है।

  • प्राकृतिक सजावट: प्लास्टिक की सजावटी वस्तुओं की जगह मिट्टी के दीये, फूल और पत्तियों का उपयोग करें।

  • केमिकल मुक्त रंगोली: रंगोली के लिए सिंथेटिक रंगों की जगह हल्दी, सिंदूर, चावल का आटा और फूलों का प्रयोग करें।

ख) रिश्तों में भरें नई मिठास

  • डिजिटल डिटॉक्स: इस दीपावली अपने मोबाइल फोन और गैजेट्स को थोड़ा आराम दें। परिवार और दोस्तों के साथ बैठकर बातें करें, पुराने दिनों को याद करें और साथ में हंसे।

  • गिले-शिकवे दूर करें: दीपावली मन के मैल को साफ करने का भी पर्व है। अगर किसी प्रियजन से कोई मनमुटाव है, तो उसे भुलाकर एक नई शुरुआत करें।

  • उपहारों का सही चयन: महंगे उपहारों की जगह ऐसे उपहार दें जो आपके स्नेह को दर्शाएं। आप अपने हाथ से बना कोई उपहार या कोई पौधा भी भेंट कर सकते हैं।

ग) समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं

  • जरूरतमंदों की मदद करें: अपनी खुशी में उन लोगों को भी शामिल करें जो अभाव में जी रहे हैं। किसी गरीब परिवार को मिठाई, कपड़े या राशन दान करें। अनाथालय या वृद्धाश्रम में जाकर उनके साथ कुछ समय बिताएं। यही सच्ची लक्ष्मी पूजा है।

  • स्थानीय कारीगरों का समर्थन करें: दीपावली की खरीदारी स्थानीय बाजारों और कारीगरों से करें। आपके द्वारा खरीदे गए हर दीये, मोमबत्ती या सजावटी सामान से किसी के घर में भी उत्सव की रोशनी पहुंचेगी।

4. दीपावली पर क्या करने से बचें?

जिस तरह कुछ कार्यों को करना शुभ होता है, उसी तरह कुछ बातों से बचना भी आवश्यक है।

  • जुआ और शराब से दूर रहें: दीपावली एक पवित्र त्योहार है। इसे जुआ खेलने या नशा करने जैसे व्यसनों से अपवित्र न करें।

  • अत्यधिक मीठे और तले हुए भोजन से बचें: त्योहार का आनंद लें, लेकिन अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। संतुलित आहार लें।

  • दिखावा न करें: अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार ही खर्च करें। त्योहार का उद्देश्य दिखावा करना नहीं, बल्कि खुशियां बांटना है।

  • अग्नि से सावधान रहें: दीये और मोमबत्तियां जलाते समय पूरी सावधानी बरतें। सिंथेटिक कपड़े पहनकर आग के पास काम न करें।

दीपावली पर ये 10 काम ज़रूर करें, घर में आएगी सुख-समृद्धि और माँ लक्ष्मी की कृपा


निष्कर्ष: आत्म-प्रकाश का पर्व

दीपावली का त्योहार हमें हर साल यह याद दिलाने आता है कि चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, प्रकाश का एक छोटा सा दीया भी उसे मिटाने की क्षमता रखता है। यह प्रकाश केवल बाहरी नहीं, बल्कि हमारे भीतर का प्रकाश है - ज्ञान का प्रकाश, करुणा का प्रकाश, और प्रेम का प्रकाश।

इस दीपावली, आइए हम सब मिलकर एक संकल्प लें। हम न केवल अपने घरों को, बल्कि अपने मन को भी रोशन करेंगे। हम परंपराओं का सम्मान करेंगे, पर्यावरण की रक्षा करेंगे, अपने रिश्तों को सहेजेंगे और जरूरतमंदों की मदद करके इस त्योहार को सही अर्थों में सार्थक बनाएंगे। 

जब हर व्यक्ति अपने भीतर का दीपक जलाएगा, तभी हमारा समाज और हमारा राष्ट्र सही मायनों में जगमगाएगा।

दीपावली, दिवाली 2025, दीपावली पर क्या करें, लक्ष्मी पूजा विधि, दिवाली की तैयारी, धनतेरस का महत्व, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, इको-फ्रेंडली दिवाली, दिवाली की सजावट, रंगोली डिजाइन, शुभ दीपावली।

आप सभी को दीपावली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Close Menu