सावन का महीना आते ही दुनिया भर के भारतीय राखी यानि Raksha Bandhan Festival In India 2020 का बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। रक्षा बंधन का दिन जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं, कोई भी रिश्तेदारी ना होने के बावजूद भी राखी रक्षा बंधन से भाई बहन का बंधन निभाने का मौका मिलता है ।
राखी का इतिहास तो हमें महाभारत की युद्ध से देखने को मिलता है, भगवान श्री कृष्ण को सिर्फ देवी नाम की एक चाहती थी उसने शिशुपाल नामक एक विकृत बच्चे को जन्म दिया था ,बड़ों से पता चलता है कि जिस के स्पर्श से शिशुपाल स्वस्थ होगा, उसी के हाथों मारा जाएगा ।
एक दिन श्रीकृष्ण अपनी चाची के घर आए थे और जैसे ही शुद्ध देवी ने श्री कृष्ण के हाथों में अपने बेटे को रखा वह बच्चा सुंदर हो गया, शुद्ध देवी यह बदलाव देखकर खुश हो गई, लेकिन उसकी मौत श्री कृष्ण के हाथों होने के भावना से वह विचलित हो गई।
वह भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करने लगी भले ही शिशुपाल कोई गलती कर बैठे लेकिन उसको श्री कृष्ण के हाथों से सजा नहीं मिलनी चाहिए, तो भगवान श्री कृष्ण ने उससे वादा किया कि मैं उसकी गलतियों को माफ कर दूंगा ।
लेकिन वह अगर 100 से ज्यादा गलतियां कर बैठेगा तो मैं उसको जरूर सजा दूंगा शिशुपाल बड़ा होकर चिड़ी नामक एक राज्य का राजा बन गया, वह एक राजा भी था और साथ ही साथ भगवान श्री कृष्ण का रिश्तेदार थी लेकिन वह बहुत क्रूर राजा बन गया ।
अपने राज्य के लोगों को बहुत सताने लगा और बार-बार भगवान श्री कृष्ण को चुनौती देने लगा एक समय तो उसने भरी राज्यसभा में ही भगवान श्रीकृष्ण की निंदा की और बस शिशुपाल ने उसी दिन तो गलतियों की सीमा पार कर दी थी।
तुरंत ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का शिशुपाल के ऊपर प्रयोग किया इसी तरह से बहुत चेतावनी मिलने के बाद भी छुपाने अपने गुण नहीं बदले और अंत में उसे अपनी सजा भुगतनी पड़ी। भगवान श्री कृष्ण जब क्रोध में अपने सुदर्शन चक्र को छोड़ रहे थे,
उनकी उंगली में भी चोट लगी भगवान श्री कृष्ण के आसपास के लोग उस घाव पर कुछ बांधने के लिए इधर-उधर भागने लगे लेकिन वहां पर खड़ी द्रोपदी कुछ सोचे समझे बिना अपनी साड़ी के कोने को फाड़कर भगवान श्री कृष्ण के घाव पर साड़ी के कपडे को बांधने लगी।
और तब भगवन श्री कृष्ण ने कहा शुक्रिया प्यारी बहना तुमने मेरे कष्ट में साथ दिया है, तो मैं भी तुम्हारे कष्ट में साथ देने का वादा करता हूं, यह कहकर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा करने का आश्वासन दिया था और इस घटना से रक्षाबंधन का प्रारंभ शुरू हुआ ।
बाद में जब कौरवों ने पूरी राज्यसभा के सामने द्रोपदी की साड़ी खींचकर जब उसका अपमान करने का प्रयास किया, तो भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को बचाकर अपना वादा पूरा किया था,उस समय से लेकर बहने अपने भाइयों को राखी बांध रही है ।
और बदले में भाई जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने का आश्वासन देते आ रहे हैं, सावन मास की पूर्णिमा पर राखी के अलावा कुछ और त्यौहार भी मनाए जाते हैं, कुछ लोग इसी दिन अपनी यज्ञोपवीत बदलते हैं इसीलिए इस दिन को जंध्याला पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस दिन ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कुछ लोग राधा और कृष्ण की मूर्तियों को पालने में रखे झूला झूल आते हैं, और इस दिन को झूलन पूर्णिमा कहते हैं उत्तर भारत के कुछ राज्यों में इस दिन पर गेहूं के बीज बोते हैं और इस दिन को कजरी पूर्णिमा के नाम से जाना चाहता है।
केरल और महाराष्ट्र के लोग इस दिन को नारली पूर्णिमा बुलाते हैं और वे समुद्र देवता की पूजा करते हैं, हालांकि इस दिन कई तरह के उत्सव मनाए जाते हैं लेकिन उनमें सबसे लोकप्रिय और प्रमुख त्यौहार होता है रक्षाबंधन।
तो ये था रक्षा बंधन त्यौहार के बारे में विस्तृत जानकारी। मैं उम्मीद करता हूँ की ये पोस्ट आप लोगों को पसंद आया होगा।
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